12th Biology Chapter – 3 Human Reproduction ( मानव में प्रजनन )

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DHARMPUR RAM RAY ( BAZAR )

DIRECTOR :- NAVEER SIR

12TH MATH :- NAVEEN SIR

PHY. & CHE. :- PRAVEEN SIR

BIO:-PRAMOD KUMAR

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12th Biology  2. Human Reproduction

मानव में प्रजनन

1Q. नर जननतंत्र के सुसज्जित आरेख का निरूपण करें।

नर जननतंत्र

2Q. मादा जनन तंत्र के सुसज्जित आरेख का निरूपण करें

मादा जनन तंत्र

3Q. नर जनन तंत्र के चार विकार को लिखें।

Ans:-नर जनन तंत्र के चार विकार निम्नलिखित हैं-

(i) क्रिप्टोरकाइडिज्म (गुप्तवृषणता)

(ii) नपुंसकता

(I) ADAM

(iv) अयुक्राणुता

4Q. मादा जनन तंत्र के चार विकार को लिखें।

Ans:- मादा के चार जनन तंत्र के विकार निम्नलिखित हैं-

(i) लूटियल फेजडिफेक्ट

(ii) इन्डोमेट्रोसिस

(iii) सिस्टिक फाइब्रोसा

(iv) Anovulation

5Q. निम्नलिखित को परिभाषित करें (Define the following.)

(a) अधिवृषण (Epididymis)

(b) शुक्रवाहिनी (Vas deferens)

(c) वीर्य (Semen)

(d) सर्टोली कोशिका (Sertoli cells)

Ans:- a) अधिवृषण (Epididymis):-  यह अत्यधिक कुंडलीनुमा नलीनुमा रचना है जो वृषण से सटा रहता है। यहाँ पर शुक्राणु का संग्रहण होता है।

(b) शुक्रवाहिनी (Vas deferens):-  यह एक जोड़ा लंबी नलीनुमा रचना है, जो शुक्राणु के संवहन में भाग लेता है।

(c) वीर्य (Semen ): – यह दुधिया क्षारीय गाढ़ा द्रव है जिसके द्रवीय भाग को सेमिनल प्लाज्मा कहते हैं तथा इसमें शुक्राणु भी होते हैं।

(d) सर्टोली कोशिका (Sertoli cells) – यह लंबा स्तंभाकार कोशिका है शुक्रजनक नलिकाओं के अंदर इसका स्रवण शुक्राणु को पोषण देता है।

6. अंडोत्सर्ग क्या है ? इसे कौन-सा हार्मोन induce करता हैं?

Ans:- अंडोत्सर्ग में अंडाशय से अंड का विमुक्तीकरण होता है यह इस्ट्रोजेन तथा LH हार्मोन के स्तर में वृद्धि द्वारा होता है तथा LH की अतिवृद्धि सबसे अधिक पुटिका स्फूटन में भाग लेता है।

7Q. प्राथमिक तथा द्वितीयक अंडक में विभेद करें।

Ans:- प्राथमिक अंडक द्विगुणित रचना है जो बहुत सी छोटी-छोटी पुटिकाओं द्वारा घिरी होती हैं ये प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन की अवस्था में रुका रहता है जबकि द्वितीयक अंडक एकगुणित रचना है, जो प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन के पूरा होने पर बनती है यौवनावस्था में इसी अवस्था में निषेचन होता है।

8Q. रजोदर्शन (Menarche ) तथा रजेनिवृति (Menopause) को परिभाषित करें  |

Ans:- मादा प्राइमेट्स (जैसे बंदर, कपि तथा मनुष्य) में होने वाले जनन चक्र को आर्तव चक्र कहते हैं प्रथम रजोधर्म की शुरुआत चैवनारंभ पर शुरू होती है, जिसे रजोदर्शन (मेनार्क) कहते हैं। स्त्री में आर्तव चक्र 50 वर्ष की आयु में लगभग बंद हो जाता है, जिसे रजोनिवृत्ति (मीनोपॉज) कहते हैं।

9Q. पोष कोरक (ट्रोफोब्लास्ट) की भूमिका का वर्णन करें।

Ans:- प्रारंभिक भ्रूणावस्था में पोषकोरक बह्य कोशिकीय स्तर है जो विदलन के दौरान कोरकखंड (Blastomere) द्वारा बनता है। यह ब्लास्टोसिस्ट अवस्था में भ्रूण के अंतर्रोपण में भाग लेता है।

10 Q. अपरा क्या है? अपरा द्वारा स्रवित 4 हार्मोन का वर्णन करें।

Ans:- अपरा अंतःस्रावी ऊतक/अंग है जो गर्भस्थ शिशु को गर्भाशय के साथ जोड़ने में मदद करता है। अपरा द्वारा स्रवित 4 हार्मोन निम्नलिखित हैं-

(i) ऐस्ट्रोजन

(ii) प्रोजेस्ट्रोजन

(iii) मानव जरायु गोनैहोट्रोफिन

(iv) रिलैक्सिन

11 Q. अंडवाहिनी (Fallopian tube) पर नोट लिखें।

Ans:- प्रत्येक स्त्री में दो अंडवाहिनी होती है जो अंडाशय के ऊपरी भाग से शुरू होकर गर्भाशय के दोनों बगल लगी रहती है। अंडवाहिनी अंडाशय से अंडाणु को संवहन करता है गर्भाशय की तरफ |

12 Q. शुक्रावाय ग्रंथि (Seminal Vesicle) पर टिप्पणी लिखें।

Ans:-  शुक्राशय ग्रंथि एक जोड़ा मौसल संधिकार रचना है जो करीब 5 सेमी० लंबा होता है तथा मूजयाय एवं रेक्टम के बीच पाया जाता है। इससे मुक्ररस का स्रवण होता है जो करीब कुल वीर्य का 60 से 70% हिस्सा होता है। इसमें फ्रुक्टोज, प्रोस्टाग्लाडिन, फाइब्रिनोजेन तथा अन्य प्रोटीन पाये जाते हैं। प्रोस्टाग्लंडन द्वारा गर्भाशय की दीवाल में Peristalsis होता है जिससे शुक्राणु ऊपर की ओर गति करता है। फ्रुक्टोज द्वारा शुक्राणु का पोषण होता है।

13 Q. प्राथमिक एवं द्वितीयक जननांगों में अंतर बताएँ ।

Ans:- प्राथमिक जननांग वैसे अंग है जिसमें Sex hormone एवं युग्मक (gamete) का निर्माण होता है। जैसे- वृषण एवं अंडाशय। जबकि द्वितीयक जननांग में हार्मोन एवं युग्मक नहीं बनते हैं बल्कि ये युग्मक को वहन करता है। जैसे जननवाहिनी, गर्भाशय, योनि आदि ।

14 Q. वीर्य (Semen) का वर्णन करें

Ans:- वीर्य एक तरह का गाढ़ा तरल है जिसका pH 7.3 से 7.5 के बीच 300 मिलियन शुक्राणु होते होता है। औसतन 3 से 4 ml वीर्य में 200 से 300 मिलियन हैं वीर्य के तरल भाग को seminal plasma कहते हैं जिसका सवण शुक्राशय ग्रंथि, प्रोस्टेट ग्रंथि एवं काऊपर ग्रंथि द्वारा होता है। वीर्य में मौजूद फ्रुक्टोज द्वारा शुक्राणु का पोषण होता है। फाइब्रिनोजन द्वारा वीर्य से Coagulum का निर्माण होता है योनि के अंदर तथा Profibrinolysis द्वारा Coagulum को घुलाया जाता है। साथ ही प्रोस्टाग्लॉडिन जनन भाग को गति प्रदान करता है।

15 Q. Ectople Pregnancy‘ पर टिप्पणी लिखें।

Ans:- गर्भाशय के अलावा किसी अन्य भागों में भ्रूण का implantationectopic pregnancy‘ कहलाता है इसका सबसे समान्य रूप है Tubal pregnancy जो फैलोपियन नली में होता है। कभी-कभी, गर्भधारण सीवा के Internal os के करीब भी होता है। परंतु इस प्रकार का गर्भधारण शिशु एवं माता दोनों के लिए ही खतरनाक होती है। शिशु की वृद्धि के साथ ही फैलोपियन नली फट जाती है, अत्यधिक रक्तस्राव से मादा तथा शिशु दोनों की मौत होने की प्रबल संभावना रहती है।

16 Q. अपरा से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों का उल्लेख करें।

Ans:- अपरा (Placenta) भ्रूण तथा माँ के बीच का वैसा जोड़ी ऊतक है जो गर्भावस्था के दौरान बनता है तथा भ्रूण को गर्भाशय की दीवाल में Implant कराता है। अपरा को बनाने वाला भ्रूणीय भाग कोरिओन तथा माँ के गर्भाशय का भाग डेसिहुआ वैसेलिस कहलाता है अपरा भ्रूण एवं माँ के रक्त के बीच विभिन्न पदार्थों के आदान-प्रदान में भाग लेता है साथ ही शिशु जन्म के समय इससे रिलैक्सिन हार्मोन निकलता है जो गर्भाशय ग्रीवा एवं प्युबिक सिम्फाइसिस को ढीला कर देता है जिससे शिशु का जन्म आसानी से हो सके।

17 Q. नियोटेनी (Neoteny) क्या है ?

Ans:- – लार्वा में लैगिक परिपक्वता की अवस्था को नियोटेनी कहते हैं। इसके लार्वा में वयस्क जैसे प्रजनन अंग विकसित हो जाते हैं, जैसे- gonads | अतः इसमें लैंगिक प्रजनन शुरू हो जाता है यह Ambystoma के एक्सोलोटल लार्वा में पाया जाता है |

18 Q. किसी शुक्राणु को स्वच्छ चित्र द्वारा दर्शायें वर्णन की कोई आवश्यकता नहीं है।

 

Ans:- (i) सिर  :- इसमें केन्द्रक रहता है। इसके ऊपरी भाग में गॉल्जीकाय से बना एक्रोसोम (acrosome) होता है, जो निषेचन के समय शुक्राणु को मादा युग्मक में प्रवेश करने में सहायता करता है।

(ii) ग्रीवा (Neck ) – एक छोटी हिस्सा है जिसमें सेंट्रिओल रहता है।

(iii) मध्यभाग (Middle piece ) – इसमें माइट्रोकोंड्रिया रहता है जो वलयनुमा होता है, इसे Nebenkern कहते हैं। यह शुक्राणु को ऊर्जा विमुक्त करता है, अतः इसे शुक्राणु का ऊर्जा गृह कहते हैं।

(iv) पूँछ (tail) – यह कोशिका द्रव्य से बना होता है एवं शुक्राणु को सक्रिय तथा गतिशील बनाए रखता है। इसके मध्य भाग में Axial filament होता है जो पूँछ से बाहर निकला रहता है। मानव शुक्राणु के कार्य यह अंडाणु के साथ निषेचन कर युग्मज का निर्माण करता है जिससे आगे चलकर संतति का निर्माण होता है।

19 Q. अंडजनन क्या है? इसकी विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन करें।

Ans:- अंडाशय के अंदर अंडाणु (ovum) के निर्माण की क्रिया को अंडजनन (oogenesis) कहते हैं। अंडजनन की शुरुआत भ्रुणीय परिवर्धन चरण के दौरान होती है जब कई लाख मातृयुग्मक कोशिकाएँ यानी अंडजननी (oogonia) प्रत्येक भ्रुणीय अंडाशय के अंदर निर्मित होती है। जन्म के बाद अंडजननी का निर्माण और उसकी वृद्धि नहीं होती है। इन कोशिकाओं में विभाजन शुरू हो जाता है तथा अर्द्धसूत्री विभाजन के पूर्वावस्था – I (Prophase1) में प्रविष्ट होती हैं और इस अवस्था में स्थायी तौर पर अवरुद्ध रहती है। उन्हें प्राथमिक अंडक (Primary oocyte) कहते हैं। अंडजनन की विभिन्न अवस्थाओं को निम्नलिखित आरेख चित्र द्वारा दर्शाया गया है-

* यह तीन अवस्थाओं में पूरा होती है

(a) बहुविभाजीय अवस्था

(b) वृद्धि अवस्था

(c) परिपक्व अवस्था

20 Q. स्त्रीजनन तंत्र के प्रमुख अवयवों का सचित्र वर्णन करें।

Ans:- स्त्री जनन तंत्र के अंतगर्त प्रमुख स्त्री जननांग अंडाशय तथा सहायक जननांग अंडवाहिनी, गर्भाशाय, योनि तथा अन्य अवयव आते हैं।

* अंडाशय (Ovary) – यह एक जोड़ा होती है जिसके अन्दर अंड जनन कोशिका (Oogonium) का निर्माण होते रहता है-

* प्रमुख सहयोगी मादा प्रजनन अंग निम्नलिखित हैं-

(i) अंडवाहिनी – एक जोड़ा होता है जो निषेचन के लिए स्थान उपलब्ध कराता है। साथ ही अंड को अंडवाहिनी से गर्भाशय तक पहुँचता है ।

(ii) गर्भाशय – यह मोटी मांसल रचना है जिसके अंदर गर्भाशयी गुहा होती है। इसका निचला भाग ग्रीवा है गर्भाशय के अन्दर भ्रूण का विकास होता है।

(iii) योनि– यह मुलायम लचीली रचना है जो मादा यौनि अंग का कार्य करता है। यह मैथुन के अंत में शुक्राणु को ग्रहण करता है।

(iv) बर्थोनिल ग्रंथि – यह योनि के आंतरिक भित्ति से जुड़ा होता है। जिसका स्राव योनि को चिकना बनाता है।

मादा जनन तंत्र

 

21 Q. नर जनन तंत्र का सचित्र वर्णन करते हुए इसके विभिन्न अवयवों का वर्णन करें।

Ans:- नर / पुरुष जनन तंत्र के अंतर्गत प्रमुख जनन अंग के रूप में वृष्ण होते हैं। इसके अलावा कई सहायक जनन अंग पाए जाते हैं।

वृषण– इसकी संख्या दो होती है जो वृषण कोष में अवस्थित होता है जहाँ शरीर की तुलना में 2°C कम तापमान रहता है। प्रत्येक वृषण में करीब 750800 शुक्रजनन नलिकाएँ होती है, जिनमें जनन कोशिकाओं के अलाव सटॉली कोशिकाएँ होती हैं। जनन कोशिकाओं द्वारा कई अवस्थाओं में शुक्राणुओं का निर्माण होता है जबकि सटॉली कोशिकाएँ शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करती हैं।

नर जननतंत्र

* सहायक जनन अंग निन्नलिखित हैं-

(i) अधिवृषण – यह वृषण की सतह के करीब कुंडलीनुमा नलिका है जिसमें अस्थायी तौर पर शुक्राणुओं का संचय होता है।

(ii) शुक्रवाहिका :-  यह एक जोड़ी नलिका है जो वृषण को मूत्राशय के नीचले हिस्से में पहुँचकर मूत्रनली के ऊपर फंडानुमा रचना के रूप में शुक्राशय की नलिका से जुड़कर स्खलन नलिका बनाती है जो आगे चलकर वाय नली के साथ मिलकर मूत्रमार्ग का निर्माण करती है।

(iii) मूत्रमार्ग — इससे होकर मूत्र तथा वीर्य को ढोने का कार्य करता है।

(iv) शिश्न– यह बेलनाकार मोसल मैथुन अंग है। इसका मुख्य कार्य मैथुन के अंत में शुक्राणुओं को मादा की योनि में वीर्य सेचन कराना है।

(v) पुरस्थ ग्रंथि – मुत्राशय के आधार पर स्थित यह एक गोलाकार पिंड है जिसमें पुरस्थ द्रव का स्रवण होता है।

(vi) कन्द मूत्र पथ ग्रंथि (Bulbo urethral gland) – यह पुरस्थ संधि के ठीक नीचे अवस्थित होता है तथा एक क्षारीय द्रव का स्रवण करता है। इसका स्राव मैथुन के समय मादा की योनि की अम्लयता को उदासीन करता है।

22 Q. अपरा झिल्ली (Foetal membrane) क्या है ? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें। स्तनधारी में इसके महत्त्व को दर्शयें।

Ans:- अपरा झिल्ली गर्भस्थ शिशु के चारों ओर पाया जाने वाला बाह्य आवरण है जिसके द्वारा भ्रूण/ गर्भस्थ शिशु माता के गर्भाशय से गर्भावस्था में जुड़ा रहता है।

यह चार प्रकार का होता है—

(a) Amnion :- यह गर्भस्थ शिशु के ठीक बाहर का झिल्ली है जो ट्रोफोब्लास्ट के आंतरिक स्तर से बना होता है। Amnion तथा गर्भस्थ शिशु के बीच की जगह Ammiotic fluid से भरा होता है। झिल्ली तथा Fluid गर्भस्थ शिशु को सुरक्षा देने का कार्य करता है।

(b) Chorion – यह ट्रोफोब्लास्ट से बना हुआ सबसे बाहरी झिल्ली है जो प्लासेन्टा निर्माण में भाग लेता है। Chorionic प्रांकुरण के द्वारा गर्भस्थ शिशु मादा के गर्भाशय की दीवार से जुड़ा रहता है।

(c) Allantois—यह गर्भस्थ शिशु के पश्च आंत्र से निकलने वाली रचना है जो Foetus के नाभि को बनाता है। इसमें तीन रक्तवाहिनियाँ होती हैं जिसके द्वारा रक्त संवहन द्वारा भोजन तथा  एवं CO का प्रवाह होते रहता है मादा और शिशु के बीच |

(d) Yolk sac :- यह भ्रूण की आहारनली से विकसित होने वाली छोटी रचना है। स्तनधारी में इसका कोई खास महत्त्व नहीं है, परन्तु शुरू में यह रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भाग लेता है।

मानव गर्भस्थ शिशु में अपरा

अपरा झिल्ली के महत्त्व-

* Amnion एवं Chorion सुरक्षात्मक आवरण बनाता है।

* Allantois से नाभि ( umbilical cord) द्वारा Foetus जुड़ा होता है जिसे होकर रक्त प्रवाह द्वारा जैसों सहित पोषक पदार्थों का संवहन होते रहता है माता और Foetus के बीच।

23 Q. मासिक चक्र / आर्तव चक्र (Menstrual cycle) क्या है ? इनकी प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन आरेखीय (graphical) निरूपण द्वारा करें ।

Ans:- मासिक चक्र महिलाओं में होनेवाली एक चक्रीय क्रिया है जो यौवनावस्था में 12-13 वर्ष से प्रारंभ होकर 45-50 वर्ष की उम्र तक में होती है। पहला मासिक चक्र मिनार्च (Menarche) कहलाता है जबकि अंतिम बन्द होने को मेनोपाउज (Menopause) कहते हैं।

(i) Menstrual phase :- इस दौरान गर्भाशय के endometrium भित्ति के फटने से रक्तस्राव होता है जिसे Menstruation कहते हैं।

(ii) Follicular phase– यह 8-10 दिनों में पूरा होता है जिस दौरान नये पुटि के विकास द्वारा अंड का निर्माण होता है। इस अवस्था के अंत में अंडोत्सर्जन द्वारा अंड विमुक्त होता है।

(iii) Luteal phase — यह 14-15 दिनों में पूरा होता है। इस दौरान Corpus luteum का निर्माण होता है जिससे Progesterone हार्मोन का स्रावण होता है। इसके द्वारा ही अंडोत्सर्जन के बाद अंड का निषेचन होने पर गर्भधारण शुरू होता है जिसे Implantation कहते हैं फिर आगे की क्रिया मासिक चक्र की रूक जाती है। मासिक चक्र आर्तव चक्र से भिन्न है क्योंकि मासिक चक्र में रक्त का प्रवाह होता है जबकि आर्तव चक्र में नहीं। इसके अतिरिक्त मासिक चक्र सभी Primates मादाओं में होता है जबकि आर्तव चक्र सभी Non-primates मादाओं में मासिक चक्र के नियमन में प्रयुक्त हार्मोन निम्नलिखित हैं-

(1) FSH              (ii) Estrogen

(B) LH                 (iv) Progesterone

24 Q. शुक्राणुजनन क्या है ? संक्षेप में शुक्राणुजनन की प्रक्रिया का वर्णन करें।

Ans:- शुक्राणुजनन के कारण शुक्राणु का निर्माण होता है जो पुरुष लिंग की सहायक नलिकाओं द्वारा वाहित किए जाते हैं। शुक्राणुजनन की क्रिया वृषण (Testis) में अपरिपक्व नर अंकुरी कोशिकाओं (spermatogonia) द्वारा शुरू होती है जो कई अवस्थाओं में चलकर शुक्राणु का निर्माण करता है। इसे निम्न चित्र द्वारा दर्शाया गया है- यह विभिन्न अवस्थाओं में पूरा होता है

(a) Multiplication phase – इसमें काफी संख्या में Spermagonia बनता है।

(b) Growth phase-spermatogonia Primary spermatocyte बनता है ।

(c) Maturation phase – इसमें sec. spermatocyte, spermatid तथा sperm का निर्माण होता है ।

 

 

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